सेवा विकास बैंक;238 करोड के कर्ज घोटाले का पर्दाफाश.संचालकों पर FIR.दर्ज
238 करोड के कर्ज घोटाला का पर्दाफाश
पिंपरी:- ( वास्तव चक्र न्यूज़ ) पिंपरी चिंचवड शहर और आसपास के परिसर में कई शाखाओं में कार्यरत सेवा विकास को-ऑपरेटिव बैंक में करीबन 238 करोड रुपये के कर्ज घोटाला का पर्दाफाश हुआ है. इस मामले में पुलिस आयुक्त आर. के. पद्नाभन के निर्देश पर बैंक के सभी संचालकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420,406, 409,465, 467, 468, 471,34 के तहत एफआयआर दर्ज हुआ है. धाराओं के अनुसार इसमें गिरफ्तारी पूर्व जमानत की संभावना कम है. सभी संचालकों की गिरफ्तारी संभव है. इस मामले में बैंक के पूर्व चेयरमैन धनराज आसवानी उम्र 48 नि. गणेशधाम हाउसिंग सोसायटी, फेज 2 पिंपळे सौदागर ने शिकायत दर्ज करवायी है.पिंपरी पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस निरिक्षक कल्याण पवार इस मामले की जांच कर रहे है.
आपको बताते चलें कि बीती शाम एक प्रतिनिधि मंडल पुलिस आयुक्त से मिला और प्रमाणों के साथ अपनी शिकायत दी. साथ ही लेखापरिक्षण की रिपोर्ट भी सौंपी. शिष्टमंडल में पूर्व नगरसेवक हरेश बोदानी, राकांपा के नगरसेवक डब्बू आसवानी, उद्योगपति राजकुमार आसवानी, कुमार मेघणी, किशोर पहुजा, राजेश सोनजा, रतन वाघवानी, श्याम कुकरेजा, विकी मंथन, गोपाल सेवानी, प्रकाश आसवानी, बंशी धनाणी नितिन रोहरा आदि शामिल थे. रिजर्व बैंक की जांच पडताल में यह पाया गया कि सेवा विकास बैंक ने जो लोन दिया है उसमें कई अनियमितता है. बैंक के संचालकों और प्रबंधन की सांठगांठ से बिना जमानती कागजात के कर्ज देने के नियमों का उल्लघंन किया गया है.एक करोड से ज्यादा की नगदी क्रेडिट की सुविधा में भी अनियमितता बरती गई. शेयर धारकों ने इस बारे में सहकारिता विभाग और रिजर्व बैंक से कई बार शिकायतें भी की थी. संचालकों और प्रबंधकों से खाता धारकों और शेयर धारकों के हडपे पैसों की एक एक पाई वसूलने की मांग की गई थी. सन 2010-2019 के बीच गलत तरीके से 104 लोगों को कर्ज बांटा गया. दोषियों के खिलाफ सहकार आयुक्क्त व निबंधक सहकारी संस्था, महाराष्ट्र राज्य से कार्रवाई की मांग की गई थी.
पिंपरी पुलिस थाने में मामला दर्ज होने के बाद इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा को पुलिस आयुक्त ने सौंपी. इस शाखा के पुलिस निरिक्षक श्रीराम पोल ने सहनिबंधक सहकारी संस्था (लेखा परिक्षण) को एक पत्र भेजा. इसमें रिजर्व बैंक और सहकारिता कानून व नियमों का पालन न करने तथा कर्ज देते समय मनमानी तरीका अपनाने की बात कही गई. सहकारिता विभाग के श्री जाधवर ने लेखापरिक्षण कर अपनी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में 238 करोड रुपये के कर्ज वितरण में घोटाला होने की बात कही गई.
आपको को मालूम हो कि यह बैंक वर्षों पहले सिंधी समाज के लोगों ने मिलकर शुरु की थी. जिसका उद्देश्य था कि व्यापारियों को कर्ज देकर स्वलंबी बनाना. सिंधी समाज को विकास पथ के मुख्यधारा से जोडना. मगर कुछ लोग इस बैंक को दुधारु गाय की तरह इस्तेमाल करने लगे. और देखते ही देखते बैंक सरकारी जांच एजंसी के टारगेट में आ गई. खबर फैलते ही खाता धारकों में हडकंप सा मच गया है. अपनी गाढी कमाई के जमा धनराशि कहीं डूब न जाए ऐसी चिंता करने लगे. आज सुबह से अलग अलग शाखों में खाता धारकों को बडे पैमाने में पैसा निकालते देखा गया.